हरियाणा

गुरुग्राम में ‘कार बंदी घोटाले’ का मामला फिर सुर्खियों में10-15 साल पुरानी कारों पर प्रतिबंध का SCव NGT का आदेश नहीं : मुकेश

सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:

गुरुग्राम अदालत में प्रेक्टिस करने वाले एक वकील ने 10-15 साल पुरानी कारों पर प्रतिबंध लगाने का मामला सुर्खियों में आ रहा है। क्योंकि इसमें एक एडवोकेट ने एसडीएम के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला अदालत में दायर किया है, वहीं उनके कई मामले हरियाणा सरकार के यातायात विभाग के खिलाफ भी अदालत में चल रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुग्राम के एक वकील ने 10-15 साल पुरानी कारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जिला अदालत में मामला दायर कर रखा है। जिसमे उन्होंने ‘कार बंदी घोटाले’ की साजिश में हरियाणा के परिवहन सचिव तत्कालीन नवदीप सिंह विर्क (आईपीएस) और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अन्य आईएएस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक चला रखा है। जिसमें अधिवक्ता मुकेश कुलथिया ने अदालत को बताया था कि संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019, 2021 और 2023 के अनुसार, डीजल और पेट्रोल दोनों कारों की लाइफ 15 वर्ष है, जिसके बाद यह अगले पांच वर्षों के लिए रिन्यूएबल (नवीकरणीय) है, इसलिए डीजल कार को सिर्फ इसलिए जब्त या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने अपना 10 साल का जीवनकाल पूरा कर लिया है।

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कुलथिया का यह भी तर्क है कि यह प्रतिबंध संशोधित मोटर वाहन अधिनियम का घोर उल्लंघन है। वह कहते हैं कि डीजल कार और पेट्रोल वाहनों का पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) 15 साल की वैधता के साथ जारी किया जा रहा है, जबकि रोड टैक्स भी उसी अवधि के लिए जमा कराया जा रहा है। वकील कुलथिया ने अदालत को इस बात से भी अवगत कराया कि कानून के अनुसार 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है और ये अधिकारी एनजीटी और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का गलत हवाला देकर ‘अवैध’ प्रतिबंध लगा रहे हैं। जबकि ऐसा कोई भी आदेश नहीं है।

वहीं कुलथिया ने सरकार पर भीड़ गंभीर आरोप लगा दिए हैं उनका कहा है कि “ये प्रतिबंध देश के संशोधित कानून का उल्लंघन हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने की साजिश के तहत विभिन्न अवैध रणनीति के जरिए लागू किए जा रहे हैं।” उन्होंने अधिकारियों को कानूनी पहलुओं के बारे में लिखित रूप से और अदालती नोटिस के जरिए कई बार जानकारी दी। लेकिन अधिकारियों ने उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। इसलिए उनके पास न्यायालय में आपराधिक मामला दायर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। जिसको लेकर जिला अदालत से हाईकोर्ट तक सरकार के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं।
बता दें कि वकील कुलथिया ने पुरानी कारों पर प्रतिबंध मामले को वर्ष 2019 में भी उठाया था। जिसके लिए उन्होंने सभी संबंधित विभाग को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराकर पुरानी गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग रखी थी। जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की थी । इसीलिए उन्होंने जिला अदालत में सरकार के खिलाफ केस दायर किया था जो अभी भी अलग-अलग स्टेज पर चल रहा है। वहीं बीते 27 अगस्त को गुरुग्राम के एसडीएम रविंद्र कुमार के लिए खिलाफ भी हत्या के प्रयास का आपराधिक मामला दायर किया था । जिसमें अदालत ने एसडीएम व डीसी कार्यालय से गवाही के लिए समन भेजकर तलब किया जा चुका है।

*सरकार की आंखों में खटक रहें हैं वकील *
वहीं सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि जनहित में उठाए गए इस मामले को लेकर जहां हरियाणा सरकार में भी खलबली मची हुई थी, वहीं केंद्र सरकार तक भी इसकी गूंज पहुंची थी। जिसके चलते वकील की आवाज को दबाने के लिए बार काउंसिल से दबाव बनाकर राजनीतिक रसूखदार नेताओं ने उनका प्रेक्टिस करने का लाइसेंस भी सस्पेंड करवा दिया था। जिसके लिए उन्होंने अदालत में गुहार लगा कर बार काउंसिल से कारण पूछा तो बार काउंसिल ने स्वयं ही अपने आप उनके लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया था।

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